- एडीएम अनुकूल जैन बने महाकाल मंदिर प्रशासक, पहले भी संभाल चुके हैं जिम्मेदारी; शासन का आदेश आने तक देखेंगे कार्य ...
- भस्म आरती: महाकालेश्वर मंदिर में जयकारों के बीच हुई बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती, राजा स्वरूप में किया गया भगवान का दिव्य श्रृंगार!
- प्रयागराज कुंभ के लिए मुख्यमंत्री को मिला विशेष आमंत्रण! हरिद्वार से आए निरंजनी अखाड़ा प्रमुख ने मुख्यमंत्री यादव से की भेंट, उज्जैन में साधु-संतों के लिए भूमि आवंटन निर्णय को स्वामी कैलाशानंद ने बताया प्रशंसनीय
- भस्म आरती: मस्तक पर भांग-चंदन और रजत मुकुट के साथ सजे बाबा महाकाल, भक्तों ने किए अद्भुत दर्शन
- महाकाल के दर पर पहुंचे बी प्राक, भस्म आरती में शामिल होकर लिया आशीर्वाद; करीब दो घंटे तक भगवान महाकाल की भक्ति में दिखे लीन, मंगलनाथ मंदिर में भी की पूजा
सिंहस्थ कुंभ के दौरान उज्जैन महाकाल मंदिर के खजाने में आए 10 करोड़ रुपये .
उज्जैन: मध्य प्रदेश की धर्म नगरी उज्जैन में अप्रैल-मई के बीच 30 दिनों तक चले सिंहस्थ कुंभ के दौरान डेढ़ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने महाकाल भगवान शिव के दर्शन किए। इन श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान और प्रसाद सामग्री खरीदी से महाकाल के खजाने में 10 करोड़ रुपये जमा हुए हैं।
आठ करोड़ से अधिक श्रद्धालु आए सिंहस्थ…
इस शताब्दी का दूसरा सिंहस्थ कुंभ 22 अप्रैल से 21 मई तक उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर आयोजित किया गया। राज्य सरकार का दावा है कि इस बार के सिंहस्थ में आठ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने उज्जैन पहुंचकर क्षिप्रा नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित किया। महाकाल मंदिर में लगभग डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
डेढ़ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने किया महाकाल का दर्शन…
महाकाल प्रबंध समिति के अनुसार, सिंहस्थ कुंभ की अवधि में डेढ़ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके पर्याप्त इंतजाम किए गए थे।
रसीदें कटाने से हुई 10 करोड़ रुपये की आय…
समिति की सहायक प्रशासक प्रीति चौहान के मुताबिक, “मंदिर में आए श्रद्घालुओं द्वारा चढ़ाए गए चढ़ावे, प्रसाद खरीदी और विशेष दर्शन के तहत रसीदें कटाने से लगभग 10 करोड़ रुपये की आय हुई है।”
निर्विघ्न सिंहस्थ के लिए महाकाल से की गई थी प्रार्थना…
मंदिर के पुजारी दिनेश ने कहा, “महाकाल से प्रार्थना की गई थी कि सिंहस्थ कुंभ बगैर किसी व्यवधान के संपन्न हो जाए। महाकाल ने इसे सुना यही कारण रहा कि यह धार्मिक आयोजन बगैर किसी बाधा व परेशानी के सम्पन्न हो गया।”